मंदिर या मस्जिद .....
जी हाँ आज कल कोई न्यूज़ चैनल पलट लो वही भाजपा के 2-4 प्रवक्ता और अलग अलग गुथ के मौलवी बहस करते नज़र आ जाएँगे।
अजीब सी बात है एक तरफ़ भारत को सूपर पावर बनाने की बात होती है, वहीं दूसरी और मंदिर बनेगा या मस्जिद इस पर चिल्ला चिल्ला के बहस कर रहे हैं ।
एक साल बचा है चुनाव में उसने कोई शक ही नहीं की भाजपा अब ये पूरा साल अपने न्यूज़ चैनलस पे सिर्फ़ यही बहस करवाएगी ताकि
( विकास, महँगाई, बेरोज़गारी, नोट बंदी ) जैसे मुद्दों को छोड़ पूरा देश हिंदू मुस्लिम और मंदिर मस्जिद में ही रह जाए और अंत हो दंगों से, जिसके बाद वोट का बहुत आराम से बँटवारा कर पूरा चुनाव सिर्फ़ हिंदू मुस्लिम के मुद्दे पे हो जाए ।
एक सवाल हो सकता है काफ़ी लोग मेरे इस सवाल से इत्तफ़ाक़ ना रखते हों, पर क्या मंदिर और मस्जिद क्या इतना महत्वपूर्ण मुद्दा होना चाहिए इस देश में ?